मेरी कलम से -----------------------------------------------मेघना
"ये ज़िन्दगी "
उलझनों से भरी इक पहेली है ये ज़िन्दगी
किसी की दुश्मन किसी की सहेली है ये ज़िन्दगी
पढ़ ले गर किसी की आँखों की जुबान हम
तो बहुत हसीं बन जाती है ये ज़िन्दगी
अगर रूठ जाये कोई अपना हमसे
तो सिर्फ इंतज़ार ही करवाती है ये ज़िन्दगी
कभी तो समंदर के तूफ़ान से साहिल पर ले आती है ये ज़िन्दगी
तो कभी किनारों से भी डूबा कर ले जाती है ये ज़िन्दगी
कभी नींद में सुनहरे ख्वाब दे जाती है ये ज़िन्दगी
कभी आँखों से ही नींद उड़ा ले जाती है ये ज़िन्दगी ........
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MERI KALAM SE-----------------------------------------------MEGHNA
"YE ZINDADAGI"ULJHANO SE BHARI IK PAHELI HAI YE ZINDAGI
KISI KI DUSHMAN KISI KI SAHELI HAI YE ZINDAGI
PADH LE GAR KISI KI ANKHON KI ZUBAN HAM
TO BAHUT HASEEN BAN JAATI HAI YE ZINDAGI
AGAR ROOTH JAYEEE KOI APNA HAMSE
TO SIRF INTZAAR HI KARWAATI HAI YE ZINDAGI
KABHI TO SAMANDAR KE TOOFAN SE SAHIL PAR LE AATI HAI YE ZINDAGI
TO KABHI KINAARON SE BHI DUBA KAR LE JAATI HAI YE ZINDAGI
KABHI NEEND MEIN SUNEHRE KHWAAB DE JAATI HAI YE ZINDAGI
KABHI AANKHON SE HI NEEND UDA LE JAATI HAI YE ZINDAGI........
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