- मेरी कलम से -----------------------------मेघना
"उम्मीद"
करते हैं वफ़ा की उम्मीद हमउनसे, जो बस अपनी बेरुखी पर अड़े हैं !
मुड़ कर तुम ज़रा पीछे देखो तो ज़रा
हम तो आज भी पलकें बिछाए खड़े हैं !!
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MERI KALAM SE-------------------------------------------------MEGHNA
" UMEED"
KARTE HAI WAFA KI UMEED HAM UNSE
JO BAS APNI BERUKHI PAR ADE HAIN
MUD KAR TUM ZARA PEECHHE DEKHO TO ZARA
HAM TO AAJ BHI PALKEIN BICHHAYE KHADE HAIN