मेरी कलम से --------------------------------------------------------------मेघना
तुझे देखा करते हैं चुपके-चुपके से
तुझसे ही नज़रें चुरा कर
डरते हैं हम थोडा-थोडा
कहीं तुम ही न नज़रें चुरा लो
महकती हवाएं जब तेरी खुशबू का एहसास कराती हैं
जी तो चाहता है
रोक कर इन हवाओं को तेरा हाल पूछें
लेकिन ये भी तेरी तरह बेवफा निकली
हमें सिर्फ एक झोंके का एहसास करा कर
अपनी ही राह हो ली.
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Wednesday, October 20, 2010
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